वो खामोशी
वो खामोशी
अंतर्मन की आवाज ही तो सुन रहे हैं
इसीलिए अंतर्द्वंद्व से जूझ रहे हैं
क्या सही क्या गलत समझना मुश्किल
इधर जाएं या उधर, हर रोज यही कश्मकश
एक खामोश जंग जारी है अपने अंदर
एक एक पल जिंदगी खुद से हारी है
उठते हैं सवालों के बवंडर हर रोज
बाहर मुस्कुराते हैं दफन करके गम के कई खंडहर।
आभार – नवीन पहल – २७.०१.२०२३😌😌
# प्रतियोगी
Punam verma
28-Jan-2023 08:58 AM
Very nice
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Abhinav ji
28-Jan-2023 07:53 AM
Very nice 👍
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